संतोष शर्मा 'संतु'अहमदाबाद जी द्वारा अद्वितीय रचना#
राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय 'बदलाव मंच' साप्ताहिक प्रतियोगिता
दिनांक-29 दिसंबर
विषय-नया साल, नए संकल्प 2021
विधा-कविता
नया साल, नए संकल्प 2021
सखी,
क्या कह कर विदा करूँ इस 2020 को?
कि भर लो इन दुःख-संतापों को झोली में,
कि समेटकर ले जाओ इन पीड़ाओं को,
और फिर तुम कभी लौटकर न आना।
सखी,
ये हमारे सारे आक्षेपों को झेलता गया,
स्वयं को गुनहगार समझकर खड़ा रहा,
पर क्या वास्तव में इस विपदा के लिए,
ये समय (2020) ही जिम्मेदार था??
सखी,
प्रकृति से खिलवाड़ हम करते रहे,
धरती माँ का आँचल हम गंदा करते रहे,
रिश्तों को तार-तार हम करते रहे,
इंसानियत से नाता हम तोड़ते रहे,
सखी,
अपराधी ये समय (2020) नहीं,
बल्कि हम स्वयं जिम्मेदार है,
प्रकृति किसी का अहसान नहीं रखती,
बल्कि सब कुछ सूद सहित लौटाती है,
सखी,
आओ हम अपनी गलतियों से सीख लें,
और स्वागत करे नववर्ष 2021 का,
संकल्प लें और वादा करें 2021 से,
कि धरती माँ को और कष्ट नहीं देंगे,
कि हमारा कुछ समय अपनों का होगा,
कि इंसानियत से नाता कभी नहीं तोड़ेंगे,
कि वृक्षों को बाँहों में भरना नहीं भूलेंगे,
कि रोते हुए को हँसाना हमारा धर्म होगा,
कि कभी कभी बिना कारण ही मुस्कुरा देंगे,
सखी,
मैं नहीं जानती, मैं समय के साथ कब तक हूँ.
पर यह समय शाश्वत है.. और
मेरे द्वारा किए कर्मों और संकल्पो पर ही,
निर्भर करता है कि आने वाली सदियों की,
खूबसूरती कैसी होंगी...
संतोष शर्मा 'संतु'
अहमदाबाद
यह मेरी स्वरचित व मौलिक रचना है।
संतोष शर्मा
संतोष शर्मा 'संतु'अहमदाबाद जी द्वारा अद्वितीय रचना#
Reviewed by प्रकाश कुमार
on
जनवरी 11, 2021
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