बदलाव अंतर्राष्ट्रीय मंच
बदलाव.. एक क्रांति (वेब पत्रिका)
बुधवार, 2 दिसंबर 2020
कवि बृंदावन राय सरल द्वारा रचित दोहे
दोहे,,,,
अंतरिक्ष,,,
अंतरिक्ष अब रो रहा। हमसे कहता आज ।।
धरती को तो खा लिया।मेरा
करो इलाज।।
सुरभि,,,
फूलों से गायब सुरभि।आया ऐसा
काल।।
मौसम भी बेहाल है।जनता भी
बेहाल।।
सविता,,,
सविता शुचिता सार्थक,पावनता
के रूप।।
इनके बिन तो मन रहे। जैसे
एक कुरूप।।
बृंदावन राय सरल
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