राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता
दिनांक : १३/११/२०२०
विषय : दीपोत्सव
शीर्षक : दीपावली
दीपावली
दीपों का त्योहार कहलाता दीपावली,
दीप जलाकर दिखाते हम प्रसन्नता अपनी,
ऎसा लगता प्रकृति ने ली है करवट भारी,
ग्रीष्म से शरद ऋतु की तरफ कदम है बढ़ाई।
भारत के हर त्योहार जुड़े हुए है, प्रकृति से
दीपावली सबसे बड़ी है, सब त्योहारों में से
आओ मिलकर मनाएँ यह त्योहार दिल से
सबके घर में उजाला हो इसी मकसद से।
कहीं-कहीं दीपावली को कहते दीपदान
अर्थात् उजाला फैला, कर दीपों का दान,
सबको बताना है, हम है एक पिता के संतान
सबको गले लगाना है बिना किसी अभिमान।
माटी का शरीर माटी में मिल जाना है,
प्यार बाँटने का त्योहार तो एक बहाना है,
शायद इसलिए ही हमारे पूर्वजों ने
दिया हमें त्योंहारों का खजाना है।
यदि तूने एक घर का भी अंधेरा दूर किया,
किसी बच्चे के ओठों पर मुस्कान बनकर छाया,
किसी बुजुर्ग मानस की दुआ लेकर घर आया,
समझ लेना सिर्फ इस बार ही दीपावली मनाया॥
अनिता पाण्डेय
मैं यह घोषणा करती हूँ कि यह मेरी स्वरचित व मौलिक रचना है।
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