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बदलाव.. एक क्रांति (वेब पत्रिका)
सोमवार, 12 अक्तूबर 2020
कवि एम. "मीमांसा" जी द्वारा रचना
सदा तुम खुश रहो जिससे, वही मैं काम करता हूँ
जलाकर जिस्म काजल का, यूँ इन्तेजाम करता हूँ।
रहेगी हाथ में हरपल, सनम ये मेंहदी तेरे।
लहू मैं जिस्म का सारा, तुम्हारे नाम करता हूँ।
एम. "मीमांसा"
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