बदलाव अंतर्राष्ट्रीय मंच
बदलाव.. एक क्रांति (वेब पत्रिका)
शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2020
कवि एम.मीमांसा जी द्वारा श्रृंगार रस पर आधारित रचना
चले आओ सनम फिर से, लगन हमतुम लगाते हैं
जुदाई के अगन में क्यूँ, बदन हमतुम जलाते हैं
बहुत कमज़ोर है काया, हमारे इश्क़ का हमदम
चलो फिर से मुहब्बत का, वज़न हमतुम बढ़ाते हैं
एम. "मीमांसा"
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