बदलाव अंतर्राष्ट्रीय मंच
बदलाव.. एक क्रांति (वेब पत्रिका)
शनिवार, 22 अगस्त 2020
एम. मीमांसा जी द्वारा रचित मुक्तक
कायम रख तू अपनी, आदत शरमाने की
छिपकर रह फिर ना कर, परवाह जमाने की
था ये शोर गली में, हैं दो चांँद गगन में
जरुरत क्या थी तुमको, हाँ छत पर जाने की
एम. "मीमांसा"
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