ये बदलाव की तो महज़ शुरुआत है।
यहाँ तो न जाने कितने पुरोधाओं की ज़मात है।
इतना बुलंदी पे पहुंचाएंगे इस मंच को मिलकर दोस्तों कि
लोग भी कह उठेंगे वाह ज़नाब यही तो बदलाव की करामात है।।
©®जितेन्द्र विजयश्री पाण्डेय "जीत" प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
©®मौलिक, स्वरचित और अप्रकाशित
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