*दशरथ माँझी एक ज़िद*
आओ मैं तुम एक
काहानी सुनाता हूँ।
साधारण में असाधारण
व्यक्तित्व दिखाता हूँ।।
पहाड़ो के बीच गाँव का
रहने वाला नाम दशरथ मांझी।
पत्नी से अटल प्रेम जिसके संग
बाँटा जिंदगी के खुशी गम साँझी।।
फगुनिया नाम पत्नी का
जो थी उनकी जान
रात दिन गहलौर में रहकर
भी रखती उनका ध्यान।
एक दूसरे के साथ हँस
बोलकर जीवन कट रहा था।
किन्तु दुर्भाग्य का साया धीरे
धीरे उनको सिमट रहा था।।
गाँव था बिहार में गया
जिले के बीचों बीच।
पिछड़ा होने पर भी उन
दोनों का जीवन रहा था बीत।।
एक दिन हुआ दुर्घटना
उनके पत्नी के साथ
सोचा लेकर जल्दी चल दे
शहर के अस्पताल।।
पहाड़ होने के कारण था
घूम कर लंबे रस्ते से जाना।
जिसके कारण जान चली गई
पत्नी की ये सभी ने माना।।
फिर क्या था जुनून पर्वत को
ले छैनी हथोड़े से तोड़ दिया।
अपने गाँव के रास्ते को सीधा
सीधा शहर से जोड़ दिया।।
जब तक उन्होंने पर्वत
को तोड़ नही डाला।
तबतक उन्होंने जीवन मे
बिल्कुल हार नही माना।।
जब तक तोड़ेंगे नही
तबतक छोड़ेंगे नही,
यही उनका नारा था।
पूरे गाँव में लोग पागल
समझते किन्तु लक्ष्य के
प्रति विस्वास ही सहारा था।।
इतना लगन था काम में
जिद्दी बनकर पूर्ण किया।।
पहले अकेले थे फिर तो
सभी के लिए मिसाल बना।।।
अबतो वो विस्व के लिए
प्रेरणा के स्रोत कहलाते है।
उन्होंने कर दिखाया कि जीवन में
बने रास्ते पर जानवर भी चलते है।
किन्तु इंसान वही कहलाते
जो स्वयं रास्ते बनाते है।।
जीवन को समझ कर लक्ष्य
अब तुम भी चलना सिखों।
सबकुछ सम्भव है यहाँ
लक्ष्य मानकर आगे बढ़ना सिखों।।
प्रकाश कुमार
मधुबनी,बिहार
9560205841
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