बदलाव साहित्य मंच
दिनांक--27-07-2020
दिन- सोमवार
तुलसीदास जयन्ती के उपलक्ष में
शीर्षक- वीर हनुमान
अपने प्रभु का सच्चा सेवक,
परम स्वामी भक्त हैं हनुमान।
पिता पवन रत्नापुर के राजा,
माता अंजनी की संतान |
वानर कुल के वीर क्षत्रिय,
अतुलित बलधारी हनुमान।
ऋषि अगस्त्य के गुरूकुल में,
वेद वेदागों का पाया ज्ञान,
द्विज बनकर के जनेउ धारी,
संस्कृत भाषा के विद्वान |
योग शक्ति से बल को बढाया,
ब्राह्मचर्य व्रत धारी बलवान,
सूर्य शोध में तुड़वाई ठुडडी,
हनु तुड़ा बन गए हनुमान।
नहीं निगला था सुरज उसने,
सौर विध्या का सीखा ज्ञान।
पवन और सौर शक्ति से,
उड़ा सकते थे वो विमान।
निर्दोष सुग्रीव का साथ दिया,
बाली से बचाई उनकी जान।
ऋषराज जामवंत संग मिल,
दुखी सुग्रीव का रखा ध्यान।
राम लखन से मिले प्रथम,
तब विद्वता का दिया प्रमाण।
करवाई सुग्रीव से मित्रता,
राम की शक्ति को पहचान।
भूली विधा का करके ध्यान,
लंका जाने को भरी उड़ान।
माता सीता का लगा पता,
अंगुठी से दी अपनी पहचान।
अशोक वाटिका के फल खाकर,
तृप्त हो गए थे हनुमान।
प्रहरियों को मार भगाया,
रावण पूत्र के हर लिए प्राण।
मेघनाथ के हाथों बंदी बनकर,
देखा लंका का हर स्थान।
निडर हो रावण के सम्मुख,
राम दूत बन दी पहचान।
सीता की मुक्ति के लिए कहा,
करके राम शक्ति का गुणगान।
अंहकारी रावण कुपित हुआ,
पूंछ जलाने का दिया फरमान।
कमर में बंधा पहचान पत्र,
यह पूंछ राजदूत की पहचान।
जलती पूंछ से जला के लंका,
सकुशल लौट गए हनुमान।
हनुमान के मार्गदर्शन में,
वानर सेना ने किया प्रयाण।
शक्ति लग लक्ष्मण मुर्छित हुए,
लाकर संजीवनी बचाये प्राण।
राम विजय का प्रथम संदेश,
भरत तक देने गए हनुमान।
सदा रहे प्रभु भक्ति में मगन,
परम तपस्वी है वीर हनुमान।
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नाम-रमेश चंद्र भाट
पता-टाईप-4/61-सी, अणुआशा, रावतभाटा।
मो.9413356728
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