बदलाव अंतर्राष्ट्रीय मंच
बदलाव.. एक क्रांति (वेब पत्रिका)
गुरुवार, 9 जुलाई 2020
यही वो आकाश है, जिसे मजदूर ओढ़ता है*,
*यही वो आकाश है, जिसे मजदूर ओढ़ता है*,
*बिछौना धरती को कर सो जाता है*
*भ्रमरपुरिया*
इन्सान हूँ मैं.
यही है काफी..
अभी करने को...
काम बहुत है बाकी....
भ्रमरपुरिया
Badlavmanch
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