शीर्षक
काव्य गीत
क्या तुझ पर लिखूं कविता क्या तुझ पर करूं गजल!
तू तन से नहीं , मन से भी निर्मल जैसे हो गंगाजल!!
तू एक सवाल है जिसका कोई ढूंढना पाया हल !!
सब के दर्द से जुड़कर तूने नाम किया है सफल!!
अपने अल्फाजों से ही सबसे हुआ है प्रबल !!
साहित्य को अपनाकर स्वप्न किया है सफल ।
विश्व पटल पर तूने मचा रखी हैै हलचल।।
रचनाकार मंजू भारती फौजदार अलीगढ़ उत्तर प्रदेश
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